महिला डॉक्टर के साथ दरिंदगी पर रोष व्यक्त करते हुए कविता चंद पंक्तियां जोकि आपको झकझोर कर रख देगी। तो चलिए जानते है एक स्त्री की व्यथा
हे स्त्री जाग भी जाओ,
अपना खुद इंसाफ करो।
अस्त्र शास्त्र के साथ सतर्क रहो ,
नारी तुम शक्तिस्वरूपा हो,
अपनी शक्ति का परिचय दो।
नहीं तो वहशी दरिंदे के हत्थे चढ़ने से तुम्हे कोई ,
बचा नही पायेगा।
अगर तुमने अपने समय रहते ,
हथियार न उठाया ।
तो मानो बहुत अनिष्ट हो जाएगा
अब शायद तुमको भान हो गया
अब शास्त्र लिए बाहर विचरण करना होगा
अगर कोई तुम्हारा चीर हरे,
तो उसको जरा न बक्शो।
चंडी बन उसके मुंडी की माला डाल,
खुद अपने से न्याय करो।
नारी तो है शक्ति का प्रतीक ,
तो क्यों न तू
अपनी शक्ति का प्रतीक दे ।
जो तुम्हे जरा सी क्षति पहुंचाए,
उसका सिर धड़ को चीर दे ।
मोनिका त्रिपाठी की कलम से